भ्रष्टाचार का बोलबाला ' |

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 माता पिता ने तो हमें ईमानदारी और सच्चाई का पाठ पढ़ाया । मालूम नही था। कि बेईमानी और झूठ के दम पर सारी दुनिया चलती है। मजदूर माता पिटा की आखो में हजारो सपने थे ' कि अपनी सन्तान को उच्च शिक्षा देकर लायक बनायेगे । बच्चो के सपने पूरे करने के लिये स्कूलो में भी "चढ़ावा " चढ़ाना पड़ता है । दसवी तक तो ठीक है किसी भी स्कूल में ले देकर एडमिशन हो जाता है। पर जब किस को आगे सबजेक्ट लेना होता है। तो अक्सर विधालय में छात्रो की मेहनत और लगन की तरफ ध्यान नही जाता है। ना ही अंकतालिका देखी जाती है। कहते हैं कि विद्यालय एक मन्दिर है जहाँ चढ़ावा चढ़ाया जाता है ' बिना चढ़ावा के प्रवेश कैसे हो ,

रिश्वतखोरी - आज देश के किसी भी कोने में चले 
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जाओं बिना रिश्वत के कोई काम नही होता । काम कराने के लिये फाइलों पर वजन रखना पड़ता है। भाई भतीजे वाद . को ही महत्व दिया जाता है ' अगर हमारे पास रिश्वत देने के लिये पैसे नही हैं तो काम करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। एक जगह से दूसरी जगह युंहीं चक्कर लगाते हुए पैरो की चप्पले ही घीस जाती है। अदालतो में ढेरो फाइले ऐसी है। जिनकी सुनवाई कभी हो हीं नहीं पाती है। सुनवाई की आश लगाए उम्र कट जाती है। कई बार तो इंसान के चले जान के बाद भी सुनवाई न हो पाती है। यह हमारे देश में भ्रष्टाचार के कारण हो रहा है ' .
भ्रष्टाचार के मुख्य कारण हों सकते हैं।
1,  बढ़ती हुई जनसंख्या और महंगाई की मार .
2, अधिक से अधिक पैसा कमाने की इच्छा ।
3, देश में किसी काम को समय पर पूरा नही करना। यानि कार्य कर्त्ता के द्वारा कार्य को टालते रहना ' ' 4., शिक्षा का अभाव . निती जरूरतो को पूरा ना कर पाना।
5 जाति वाद ओर भेदभाव और आरक्षण की समस्या . I आदि '
निम्न कारणों के कारण भी भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा मिलता है। परिवार की नीजी जरूरतो को पूरा करे की इच्छा से हम अधिक से अधिक धन अर्जित करना चाहते हैं, ओर खुद की आमदनी में संतुष्ट नहीं होते है। तब इन गलत तरह से पैसा अर्जित करना दी भ्रष्टाचार है। देश की नींव ही खोखले आदर्शो पर रखी हुई है। सारा क सारा समाज देश सभी नेताओ की जी हुजूरी करते रहते है। नेता 'मीडिया . सरकार सभी भ्रष्ट हो चुके है। सब बिकाऊ हो चुके हैं। जिस देश में गंगा बहती है, जहां गीता बाइबिल . कुरान, गुरुग्रंथ साहिब के ऊपर हाथ रखकर . कसम खाई जाती है। उस देश के नागरिक खुद ही बिक जाते है। तो उस देश में भ्रष्टाचार कैसे कम होगा। अगर हम देश मे सुधार करना चाहते है । तो पहले खुद से शुरु करना होगा।

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